चलो ना भटके

Wednesday, September 3, 2008

चलो ना भटके
लफंगे कूचों में
लुच्ची गलियों के
चौक देखें
सुना है वो लोग
चूस कर जिन को वक़्त ने
रास्ते में फेंका था
सब यहीं आके बस गए हैं
यह छिलके हैं जिंदगी के
इन का अर्क निकालो
की ज़हर इन का
तुम्हारे जिस्मों में
ज़हर पलते हैं
और जितने वो मार देगा
चलो ना भटके
लफंगे कूचों में

-गुलज़ार

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क्या मिलेगा यहाँ ?

यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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