सब्र हर बार इख्तियार किया
Wednesday, September 3, 2008
सब्र हर बार इख्तियार किया
हम से होता नहीं, हज़ार किया
आदतन तुमने कर दिए वादे
आदतन हमने ऐतबार किया
तेरी राहों में बारहा रुक कर
हम ने अपना ही इंतज़ार किया
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
-गुलज़ार
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