या मुझे अफ़सर-ए-शाहा न बनाया होता
Wednesday, September 3, 2008
या मुझे अफ़सर-ए-शाहा न बनाया होता
या मेरा ताज गड़ाया न बनाया होता
खाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे
काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ न बनाया होता
नशा-ए-इश्क का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता
अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने
क्यों खिरदमंद बनाया न बनाया होता
शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उस ने
वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता
रोज़-ए-मामूरा-ए-दुनिया में खराबी है 'ज़फर'
ऐसी बस्ती से तो वीराना बनाया होता
-ज़फर
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