एक मसर्रत
Thursday, September 11, 2008
एक मसर्रत
एक बर्बादशुदा ग़म है
हर ग़म
एक बर्बादशुदा मसर्रत
और हर तारीकी एक तबाहशुदा रौशनी है
और हर रौशनी एक तबाहशुदा तारीकी
इसी तरह
हर 'हाल'
एक फ़नाशुदा माज़ी
और हर 'माज़ी'
एक फ़नाशुदा हाल
[मसर्रत : Happiness, हाल : Affair]
-मीना कुमारी
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