यूं तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे
Thursday, September 11, 2008
यूं तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मजार गुज़रे
बैठे रहे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजा कर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे
बहती हुई ये नदिया घुलते हुऐ किनारे
कोई तो पार उतरे, कोई तो पार गुज़रे
तू ने भी हम को देखा हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुजरा, हम जान हार गुज़रे
-मीना कुमारी
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