Aman Ki Asha by TOI & Jang Group

Tuesday, January 5, 2010

Aman ki Asha

- An Initiative by Times of India & Jang Group
Lyrics by one & only Gulzar Saab!

दिखाई
देते हैं दूर तक अब भी साए कोई
मगर बुलाने से वक़्त लौटे आये कोई
चलो
फिर से बिछायें दरिया
बजायें ढोलक
लगाके मेहँदी
सुरीले टप्पे सुनायें कोई
पतंग उड़ायें छतों पे चढ़के मोहल्ले वाले
फलक तो सांझा है उसमें पेचें लड़ाए कोई
उठो कबड्डी-कबड्डी खेलें सरहदों पर
जो आये अबके तो लौटकर फिर जाये कोई
नजर में रहते हुए जब तुम नज़र नहीं आते
ये सुर मिलाते हैं जब तुम इधर नहीं आते
नजर में रहते हो जब तुम नज़र नहीं आते
ये सुर बुलाते हैं जब तुम इधर नहीं आते

इन
लकीरों को ज़मीन ही पे रहने दो
दिलों पे मत उतारो ...

2 comments:

Raag January 5, 2010 at 2:17 PM  

Aap ke blogs ko achanak se paakar aur padhkar bahut aacha laga.....itni kam umra mein aap bahut passion se apne man ka kaam kar rahe hain...badhai

Arsh January 5, 2010 at 2:35 PM  

izzat afzaayee ke liye bahut bahut shukriya! Bas jo cheejein dil ko chhoo jaati hain, unhain aur dilon tak pahunchane ki koshish hai :)

क्या मिलेगा यहाँ ?

यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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