शोला था जल-बुझा हूँ हवाएं मुझे न दो
Friday, September 12, 2008
मेहँदी हसन साब की आवाज़ में अहमद फ़राज़ साब के दिल की आवाज़ सुनिए -
शोला था जल-बुझा हूँ हवाएं मुझे न दो
मैं कब का जा चुका हूँ सदायें मुझे न दो
जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया
अब तुम तो जिंदगी की दुआएं मुझे न दो
यह भी बड़ा करम है सलामत है जिस्म अभी
ऐ खुश्खाने-शहर क़बायें मुझे न दो
ऐसा कहीं न हो के पलटकर न आ सकूँ
हर बार दूर जा के सदायें मुझे न दो
कब मुझ को ऐतेराफ़-ऐ-मुहब्बत न था 'फ़राज़'
कब मैं ने ये कहा था सजाएं मुझे न दो
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