रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
Monday, September 15, 2008
नज़्म - दाग़ देहलवी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगीआप से तुम तुम से तू होने लगी
चाहिए पैगामाबर दोनों तरफ़
लुत्फ़ क्या जब दू-बा-दू होने लगी
[पैगामाबर : messenger; दू-बा-दू : face to face]
मेरी रुसवाई की नौबत आ गई
उनकी शोहरत कू-बा-कू होने लगी
[रुसवाई : बदनामी; कू-बा-कू : गली-गली]
नाज़िर बड़ गई है इस कदर
आरजू की आरजू होने लगी
[नाजिर : seeing observant]
अब तो मिल कर देखिये क्या रंग हो
फिर हमारी जुस्तजू होने लगी
'दाग' इतराए हुए फिरते हैं आप
शायद उनकी आबरू होने लगी
4 comments:
नाउम्मीदी बढ़ गयी है इस कदर **
दाग़ इतराए हुए फिरते हैं आज **
दाग़ इतराए हुए फिरते हैं आज **
नाउम्मीदी बढ़ गयी है इस कदर **
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