टुकड़े टुकड़े दिन बीता
Thursday, September 11, 2008
टुकड़े टुकड़े दिन बीता, धज्जी धज्जी रात मिली
जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली
जब चाहा दिल को समझें, हंसने की आवाज़ सुनी
जैसे को’ई कहता हो, ले फिर तुझ को मात मिली
मातें कैसी, घातें क्या, चलते रहना आठ पहर
दिल सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली
-मीना कुमारी
1 comments:
this one is the best of all....... The shortest but says everything about the void in her life....
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