रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह

Monday, September 15, 2008

नज़्म - मोमिन खान

रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह

ना ताब हिज्र में है ना आराम वस्ल में
कमबख्त दिल को चैन नहीं है किसी तरह

गर चुप रहें तो गम-ऐ-हिज्राँ से छूट जाएँ
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह

न जाए वाँ बने है न बिन जाए चैन है
क्या कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह

लगती हैं गालियाँ भी तेरी मुझे क्या भली
कुरबान तेरे, फिर मुझे कह ले इसी तरह
हूँ जाँबलब बुतान-ऐ-सितमगर के हाथ से
क्या सब जहाँ में जीते हैं "मोमिन" इसी तरह

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यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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