हाँ, कोई और होगा तूने जो देखा होगा
Thursday, September 11, 2008
हाँ, कोई और होगा तूने जो देखा होगा
हम नहीं आग से बच-बचके गुजरने वाले
न इंतज़ार, न आहट, न तमन्ना, न उम्मीद
ज़िन्दगी है कि यूँ ही बेहिस हुयी जाती है
[बेहिस : Stunned, Shocked]
इतना कह कर बीत गई हर ठंडी भीगी रात
सुख के लम्हे, दुःख के साथी, तेरे खाली हात
हाँ, बात कुछ और ही थी, कुछ और ही बात हो गई
और आँख ही आँख में तमाम रात हो गई
कई उलझे हुए ख़यालात का मजमा है यह मेरा वजूद
कभी वफ़ा से शिकायत कभी वफ़ा मौजूद
ज़िन्दगी आँख से टपका हुआ बेरंग कतरा
तेरे दामन की पनाह पाता तो आंसू होता
-मीना कुमारी
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