याद के जुगनू
Thursday, September 11, 2008
याद के जुगनू
रात के सूने आँगन में फ़िर रक़्सकुनां हैं
भूले बिसरे चेहरे जो नज़रों से निहां हैं
दिल के आईनाखाने में जलवाफ़िशां हैं
[निहां : Hidden]
याद के जुगनू
तारीकी के आँचल के ज़रकार सितारे
बीते लम्हे दूर से यूँ करते इशारे
जैसे लौट आयेंगे सब गुमगश्ता नजारे
[गुमगश्ता : Wandering]
याद के जुगनू
बुझते अहसासात में जौं बन कर शामिल हैं
इनकी चमक से रौशनी अब तक दीदा-ओ-दिल हैं
यही तो ग़म का सरमाया, मेरा हासिल हैं
[सरमाया : Wealth]
-मीना कुमारी
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