याद के जुगनू

Thursday, September 11, 2008

याद के जुगनू
रात के सूने आँगन में फ़िर रक़्सकुनां हैं
भूले बिसरे चेहरे जो नज़रों से निहां हैं
दिल के आईनाखाने में जलवाफ़िशां हैं
[निहां : Hidden]

याद के जुगनू
तारीकी के आँचल के ज़रकार सितारे
बीते लम्हे दूर से यूँ करते इशारे
जैसे लौट आयेंगे सब गुमगश्ता नजारे
[गुमगश्ता : Wandering]

याद के जुगनू
बुझते अहसासात में जौं बन कर शामिल हैं
इनकी चमक से रौशनी अब तक दीदा-ओ-दिल हैं
यही तो ग़म का सरमाया, मेरा हासिल हैं
[सरमाया : Wealth]

-मीना कुमारी

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क्या मिलेगा यहाँ ?

यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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