मोहब्बत करनेवाले कम न होंगे

Saturday, September 27, 2008

एक बहुत ही खूबसूरत नज़्म हफीज़ होशियारपुरी की कलम से। मेहँदी हसन साब ने इसको बहुत ही खूबसूरती से गाया है। पेश-ऐ-खिदमत है, गौर फरमाइए -

मोहब्बत करनेवाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे

ज़माने भर के गम या इक तेरा गम
ये गम होगा तो कितने गम न होंगे

दिलों की उलझनें बड़ती रहेंगी
अगर कुछ मशवरे बाहम न होंगे

अगर तू इत्तफ़ाक़न मिल भी जाए
तेरी फुरक़त के सदमें कम न होंगे

'हफीज' उन से मैं जितना बदगुमान हूँ
वो मुझ से इस कदर बरहम न होंगे

1 comments:

Roopa May 28, 2011 at 11:24 AM  

I heard this without The flute before. Wow!!
http://ecoworrier.blogdrive.com

क्या मिलेगा यहाँ ?

यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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