हर एक बात पे कहते हो तुम की तू क्या है
Monday, September 8, 2008
हर एक बात पे कहते हो तुम की तू क्या है
तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ऐ-गुफ्तगू क्या है
न शोले में ये करिश्मा न बर्क में ये अदा
कोई बताओ की वो शोख-ऐ-तुन्दखू क्या है
[तुन्दखू - Acrimony, बर्क - Lightening]
ये रश्क है की वो होता है हमसुखन हमसेवगरना खौफ-ऐ-बदामोजी-ऐ-अड़ क्या है
[रश्क=jealousy; आमोज़ी=teaching; अदू=enemy]
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अन हाजत-ऐ-रफू क्या है
[पैराहन=dress; हाजत=need; रफू=darning]
जला हिया जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
वो चीज़ जिसके लिए हमको हो बहिश्त अजीज़
सिवाए बादा-ऐ-गुलफाम-ऐ-मुश्कबू क्या है
[बहिश्त=heaven; बादा=wine; गुलफाम=delicate, मुश्कबू=the smell of musk]
पियूँ शराब अगर खुम भी देख लूँ दो चार
ये शीशा-ओ-कडाह-ओ-कूजा-ओ-सुबू क्या है
[खुम=wine barrel, कडाह=goblet, सुबू=wine pitcher ]
रही न ताक़त-ऐ-गुफ्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरजू क्या है
[गुफ्तार=speech]
बना है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वगरना शहर में "ग़ालिब" की आबरू क्या है
-ग़ालिब
1 comments:
wah
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