कब उसका विसाल चाहिए था

Thursday, September 18, 2008

नज़्म - जौन एलिया

कब उसका विसाल चाहिए था
बस एक ख़याल चाहिए था

कब दिल को जवाब से ग़र्ज़ थी
होंटों को सवाल चाहिए था

शौक़ एक नफस था और वफ़ा को
पास-ऐ-माह-ओ-साल चाहिए था
[नफस : moment]

एक चेहरा-ऐ-सादा था जो हमको
बे-मिसल-ओ-मिसाल चाहिए था

एक क़र्ब में जात-ओ-जिंदगी हैं
मुमकिन को मुहाल चाहिए था

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क्या मिलेगा यहाँ ?

यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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