कौन कहता है मोहब्बत की जुबां होती है

Saturday, September 27, 2008

जगजीत सिंह की आवाज़ में एक और बेहतरीन ग़ज़ल साहिर होशियारपुरी के कलम से।



कौन कहता है मोहब्बत की जुबां होती है
ये हकीक़त तो निगाहों से बयान होती है

वो न आए तो सताती है खलिश सी दिल को
वो जो आए तो खलिश और जवान होती है

रूह को शाद करे दिल को जो पुरनूर करे
हर नजारे में ये तनवीर कहाँ होती है

ज़ब्त-ऐ-सैलाब-ऐ-मोहब्बत को कहाँ तक रोके
दिल में जो बात हो आंखों से अयान होती है

जिंदगी एक सुलगती सी चिता है "साहिर"
शोला बनती है न ये बुझ के धुंआ होती है

5 comments:

Advocate Rashmi saurana September 27, 2008 at 8:20 PM  

वाकई बेहतरिन गजल है. आभार सुनाने के लिये.

नरेश चन्द्र बोहरा October 9, 2015 at 10:16 PM  

बेमिसाल ग़ज़ल यादगार गायकी

नरेश चन्द्र बोहरा October 9, 2015 at 10:17 PM  

बेमिसाल ग़ज़ल यादगार गायकी

hindustan khabar June 6, 2016 at 12:33 AM  

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल दिल को छूने वाली

hindustan khabar June 6, 2016 at 12:33 AM  

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल दिल को छूने वाली

क्या मिलेगा यहाँ ?

यहाँ आपको मशहूर शायरों की बेहतरीन नज़में पढने को मिलेंगीइस जगह का मकसद उन बेशुमार नगीनों पे ज़िक्र करना और उनको बेहतर तरीके से समझना हैजहाँ भी मुमकिन है, वहाँ ग़ज़ल को संगीत के साथ पेश किया गया है

बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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