कौन कहता है मोहब्बत की जुबां होती है
Saturday, September 27, 2008
जगजीत सिंह की आवाज़ में एक और बेहतरीन ग़ज़ल साहिर होशियारपुरी के कलम से।
कौन कहता है मोहब्बत की जुबां होती है
ये हकीक़त तो निगाहों से बयान होती है
वो न आए तो सताती है खलिश सी दिल को
वो जो आए तो खलिश और जवान होती है
रूह को शाद करे दिल को जो पुरनूर करे
हर नजारे में ये तनवीर कहाँ होती है
ज़ब्त-ऐ-सैलाब-ऐ-मोहब्बत को कहाँ तक रोके
दिल में जो बात हो आंखों से अयान होती है
जिंदगी एक सुलगती सी चिता है "साहिर"
शोला बनती है न ये बुझ के धुंआ होती है
5 comments:
वाकई बेहतरिन गजल है. आभार सुनाने के लिये.
बेमिसाल ग़ज़ल यादगार गायकी
बेमिसाल ग़ज़ल यादगार गायकी
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल दिल को छूने वाली
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल दिल को छूने वाली
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