इश्क क्या चीज़ है ये पूछिये परवाने से
Saturday, September 27, 2008
नज़्म - साहिर होशियारपुरी
इश्क क्या चीज़ है ये पूछिये परवाने सेजिंदगी जिस को मयस्सर हुयी जल जाने से
मौत का खौफ हो क्या इश्क के दीवाने को
मौत ख़ुद कांपती है इश्क के दीवाने से
हो गया ढेर वहीं आह भी निकली न कोई
जाने क्या बात कही शमा ने परवाने से
हुस्न बे-इश्क कहीं रह नहीं सकता ज़िंदा
बुझ गायी शमा भी परवाने के जल जाने से
खाए जाती है नदामत मुझे इस गफलत की
होश में आ के चला आया हूँ मयखाने से
[नदामत : shame; गफलत : neglect]
कर दिया गर्दिश-ऐ-अय्याम ने रुसवा "साहिर"
मुझ को शिकवा है यागाने से न बेगाने से
1 comments:
waah!
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