यह न सोचो कल क्या हो
Thursday, September 11, 2008
यह न सोचो कल क्या हो
कौन कहे इस पल क्या हो
रोओ मत, न रोने दो
ऐसी भी जल-थल क्या हो
ऐसी भी जल-थल क्या हो
बहती नदी की बांधे बाँध
चुल्लू में हलचल क्या हो
हर छन जब हो आस बना
हर छन फ़िर निर्बल क्या हो
रात ही गर चुपचाप मिले
सुबह फ़िर चंचल क्या हो
आज ही आज की कहें-सुनें
क्यों सोचें कल, कल क्या हो
-मीना कुमारी
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