सोचता हूँ की मुहब्बत से किनारा कर लूँ

Tuesday, September 16, 2008

नज़्म : साहिर लुधियानवी

सोचता हूँ की मुहब्बत से किनारा कर लूँ
दिल को बेगाना-ऐ-तरगीब-ओ-तमन्ना कर लूँ
[तरगीब : inspiration]

सोचता हूँ कि मुहब्बत है जुनून-ऐ-रुसवा
चाँद बेकार-से बेहूदा ख्यालों का हुजूम
एक आजाद को पाबन्द बनाने की हवस
एक बेगाने को अपनाने की साईं-ऐ-मौहूम
[साईं--मौहूम : illusionary effort]

सोचता हूँ कि मुहब्बत है सुरूर-ऐ-मस्ती
इसकी तनवीर में रौशन है फजा-ऐ-हस्ती

सोचता हूँ कि मुहब्बत है बशर की फितरत
इसका मिट जाना, मिटा देना बहुत मुश्किल है
सोचता हूँ कि मुहब्बत से है ताबिंदा हयात
आप ये शमा बुझा देना बहुत मुश्किल है
[बशर : man; ताबिंदा : lighted; हयात : life]

सोचता हूँ कि मुहब्बत पे कडी शर्तें हैं
इक तमद्दुन में मसर्रत पे बड़ी शर्तें हैं
[तमद्दुन : culture]

सोचता हूँ कि मुहब्बत है इक अफ़सुर्दा सी लाश
चादर-ऐ-इज्ज़त-ओ-नामूस में कफनाई हुई
दौर-ऐ-सरमाया की रौंदी हुई रुसवा हस्ती
दरगाह-ऐ-मज़हब-ओ-इखलाक से ठुकराई हुई
[अफ़सुर्दा : disappointment]

सोचता हूँ कि बशर और मुहब्बत का जुनून
ऎसी बोसीदा तमद्दुन से है इक कार-ऐ-ज़बूँ
[कार--ज़बूँ : bad deed]

सोचता हूँ कि मुहब्बत न बचेगी ज़िंदा
पेश-अज-वक़्त की साद जाए ये गलती हुई लाश
यही बेहतर है कि बेगाना-ऐ-उल्फत होकर
अपने सीने में करूं जज्ब-ऐ-नफ़रत की तलाश
[पेश-अज-वक़्त : time preceding now]

और सौदा-ऐ-मुहब्बत से किनारा कर लूँ
दिल को बेगाना-ऐ-तरगीब-ओ-तमन्ना कर लूँ
[सौदा--मुहब्बत : madness of love]

1 comments:

nadeem September 16, 2008 at 5:06 PM  

सोचता हूँ कि मुहब्बत न बचेगी ज़िंदा
पेश-अज-वक़्त की साद जाए ये गलती हुई लाश
यही बेहतर है कि बेगाना-ऐ-उल्फत होकर
अपने सीने में करूं जज्ब-ऐ-नफ़रत की तलाश

Saahir saahab ki behtaren nazam padhane ke liye shukriya.

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बेहतरीन

जब हम चले तो साया भी अपना न साथ दे
जब तुम चलो, ज़मीन चले आसमान चले
जब हम रुके साथ रुके शाम-ऐ-बेकसी
जब तुम रुको, बहार रुके चांदनी रुके
-जलील मानकपुरी

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