सियाह नकाब में उसका संदली चेहरा
Thursday, September 11, 2008
सियाह नकाब में उसका संदली चेहरा
जैसे रात की तारीकी में
किसी खानक़ाह का
खुला और रोशन ताक
जहाँ मोमबत्तियां जल रही हों
ख़ामोश
बेज़बान मोमबत्तियां
या
वह सुनहरी जिल्दवाली किताब जो
ग़मगीन मुहब्बत के मुक़द्दस अशआर से मुन्तखिब हो
एक पाकीज़ा मंज़र
सियाह नकाब में उसका संदली चेहरा
[तारीकी : Darkness; खानक़ाह : Abbey; ताक : View; अशआर : Couplets (Plural of Sher)]
-मीना कुमारी
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